
संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय
इलिया।भगवान प्रेम से मिलते हैं लेकिन प्रेम केवल राम कथा सुनने से ही मिलता है। क्योंकि राम कथा ही एक ऐसी कथा है जो कि मानव जीवन में मनुष्य के अंदर संस्कार भरती है। एक दिन के ही राम कथा सुन लेने से नौ दिन की कथा का पुण्य व्यक्ति को मिल जाता है। राम कथा मनुष्य के अंदर एक नई ऊर्जा, नया ज्ञान, संस्कृति और संस्कारों का बोध कराती है। उक्त बातें क्षेत्र के खरौझा गांव स्थित हनुमान मंदिर परिसर में हनुमान सेवा समिति की ओर से आयोजित किए गए नौ दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा में सातवीं निशा पर काशी से पधारे कथावाचक पूज्य रितेश जी महाराज ने कहा।

रितेश जी महाराज ने सीता-राम विवाह की कथा सुनाई। जिसे सुनकर श्रोता भाव-विभोर हो उठे। कथा के प्रसंग में रितेश जी ने बताया कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। जिसे देख राजा जनक को आश्चर्य हुआ, क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा ली, कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा। उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी देश के राजा और महाराजाओं को निमंत्रण पत्र भेजा। समय पर स्वयंवर की कार्रवाई शुरू हुई और एक-एक कर लोगों ने धनुष उठाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्रीराम ने धनुष उठा प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता व राम का विवाह हुआ।

इस दौरान मंच पर राजा जनक ,अयोध्या के राजा दशरथ, गुरु वशिष्ठ मुनि की उपस्थिति में राम और सीता का विवाह की आकर्षक झांकी प्रस्तुत की गई। जो कि श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी रही। इस दौरान संगीतमयी भजन की दमदार प्रस्तुति हुई।जिसे सुनकर श्रद्धालु झूमने से खुद को नहीं रोक सके।

इस दौरान प्रधान राजन सिंह, अस्पताली सिंह,त्रिवेणी द्विवेदी, अजय कुमार सिंह,प्रमोद बाबा,डॉ गीता शुक्ला,सूर्य नारायण चौबे, श्रवण पांडेय, नर्वदेश्वर मिश्रा, रूद्र प्रिया सिंह, गीता सिंह, रीता सिंह, मीरा सिंह, सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
