चंदौली

Chandauli News: विद्यालय में बच्चों के लंच ब्रेक का समय, नौनिहालों संग मध्यान्ह भोजन का स्वाद चखने टाटपट्टी पर बैठे एसडीएम,घटिया खाना देख हुए आगबबूला

कम्पोजिट विद्यालय नियामताबाद में बच्चों के साथ मिड डे मील का भोजन करने टाट पट्टी पर बैठे एसडीएम अनुपम मिश्रा

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

नियामताबाद।पीडीडीयू नगर एसडीएम अनुपम मिश्रा मंगलवार को सुबह एक विद्यालय पर पहुंचे। जहां उसी दौरान बच्चों का लंच ब्रेक हुआ था। इसके बाद वह भी बच्चों के साथ सरकारी योजना के तहत बनने वाले मिड डे मिल के भोजन को खाने के लिए बच्चों संग टाट पट्टी पर बैठ गए। अचानक एसडीएम के खाना खाने कि इच्छा कि बात सुनने के बाद प्रधानाध्यापक व रसोईयों के हाथ पांव फूलने लगे। लेकिन बच्चों के साथ खाना खाने में जो संतुष्टि एसडीएम को मिली वह उनका मन ही जाने। एसडीएम ने जांच आख्या डीएम को सौपने कि बात कहा।

जिलाधिकारी चन्द्र मोहन गर्ग ने शिक्षा कि गुणवत्ता का परख करने के लिए एसडीएम स्तर के अधिकारियों को भी लगाएं है। इसी क्रम में पीडीडीयू नगर के एसडीएम अनुपम मिश्रा कंपोजिट विद्यालय नियामताबाद पहुंचे। जहां बच्चों के शिक्षा स्तर का टेस्ट लिया, नामांकन के सापेक्ष उपस्थिति काफ़ी कम मिली। निरीक्षण के दौरान ही लंच ब्रेक कि घंटी लग गयी। जिसके विषय में जब जानकारी लिए तो पता चला बच्चों के खाने के समय हो गया। जिसके लिए विद्यालय में मिड डे मिल के तहत भोजन दिया जाता है।

शासन मध्याह्न भोजन के नाम पर प्रति विद्यालय लाखों रुपया खर्च करती है लेकिन गुणवत्ता के नाम पर जो मिलता है इसकी पोल खुल गयी। बच्चों के साथ टाट पट्टी पर बैठे एसडीएम को रसोईयां अपने हिसाब से सबसे गाढ़ी दाल थाली में परोसी लेकिन दाल चावल को छूने कि बजाय थाली से बाहर जाने को बेताब रहा।जबकि मीनू के अनुसार चावल दाल के साथ-साथ मौसमी सब्जी युक्त दाल देनी थी। हलांकि थाली में चावल व दाल परोसा गया। बकायदे चम्मच दिया गया एसडीएम ने किसी तरह से एक चम्मच निवाला मुंह में डाले होंगे। इससे जो अनुभूति हुई वह उनके महीने भर के आयोडीन कि पूर्ति एक चम्मच भोजन ने कर दिया।इसके बाद बच्चों से वह फल, दूध आदि के विषय में जानकारी लिया।जहा बच्चों ने बताया कि फल का तो पता नहीं दूध के नाम पर सफ़ेद पेय पदार्थ जरूर मिलता है। मतलब वही सरकारी विद्यालय का हाल, 100 बच्चों पर 1 किलो दाल।

निरीक्षण के बाबत जब एसडीएम से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह शासनादेश है कि हर मजिस्ट्रेट को कम से कम 10 विद्यालय जांच करना है। जिसे जिलाधिकारी द्वारा पालन करने का निर्देश मिला है। विद्यालय कि स्थिति संतोषजनक नहीं रहा। जिसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी।

Murali Shyam

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